क्यों खुद को समझे है कमज़ोर, कम नहीं किसी से भी तू, उठ, हो खड़ी खुद को पहचान तू। क्यों खुद को समझे है कमज़ोर, कम नहीं किसी से भी तू, उठ, हो खड़ी खुद को पहचान तू।
इनकी आभा से होते जगत उज्जवलित, कलह और यातनाओं से दूर, इन्हें मुस्कान दो। इनकी आभा से होते जगत उज्जवलित, कलह और यातनाओं से दूर, इन्हें मुस्कान दो।
आँखों ही आँखों में ऐसी बात हो गयी ना तूने जाना ना मैंने समझा और हमारी एक नयी शुरुआत हो गयी आँखों ही आँखों में ऐसी बात हो गयी ना तूने जाना ना मैंने समझा और हमारी एक नयी शु...
शब्दों का मेल है शब्दों का खेल है, एक से एक मिल जाए शब्द का बेजोड़ है। कभी सफेद ब शब्दों का मेल है शब्दों का खेल है, एक से एक मिल जाए शब्द का बेजोड़ है। ...
जो मैं देखती-सुनती और समझती हूँ, आपके दिल की धड़कनों से उसे ही आपके कर कमलों से निकाल कर एक रचना के... जो मैं देखती-सुनती और समझती हूँ, आपके दिल की धड़कनों से उसे ही आपके कर कमलों से...
देश में सबसे घिनौना अपराध है बलात्कार l निर्मल चरित्र इसका समाधान है जो समाज को स्मृधता प्रदान कर सक... देश में सबसे घिनौना अपराध है बलात्कार l निर्मल चरित्र इसका समाधान है जो समाज को ...